Tuesday, May 22, 2018

सुनिए...

सुनिये, मुझें आपसे मिलना हैं...

आपसे दिल की कुछ बातें कहनी हैं,
आपके दिल की कुछ बातें सुननी हैं।
आपकी आँखों में अपनी परछायी देखना हैं,
आपके हाथों को अपने हाथों में लेने की ग़ुस्ताख़ी करनी हैं।

आपकी साँसों की आवाज़ को सुनना हैं,
आपको अपने दिल की धड़कन सुनानी हैं।
आपकी ज़ुल्फ़ों को फ़िज़ाओं में बिखरते देखना हैं,
आपके मिज़ाज़ को बारिश में सवरतें देखना हैं।

आपके चेहरें के हर ज़र्रे को पड़ना हैं,
अपनी ख़ामोशी में ही आपसे इज़हार करना हैं।
आपके हर दर्द को ख़ुद में जज़्ब कर लेना हैं,
अपनी हर ख़ुशी को आपके नाम कर देना हैं।

आपको ग़ुस्से में अकड़ते देखना हैं,
आपको ख़ुशी से बिगड़ते देखना हैं।
आपकी इच्छाओं को पूरा करना हैं,
आप ही पर सिर्फ़ और सिर्फ़ मरना हैं।

अच्छा सुनिये... अरे सुनिये तो...
मुझें आपसे मिलना हैं।